हलुवंत सहाय की हवेली
में आस- पास के जमींदार, हुक्मरान आदि पधार चुके थे। साजींदो ने अपनी जगह ले ली । रक्कासा घूँघट काढ़े बैठी थी। कमबख्त तबलची गांजे के
सोट की खोज में कहीं गुम हो गया। मेहमान अधीर हो रहे थे और जमींदार साहब आग-
बबूला। एक युवक ने आगे बढ़कर विनम्र भाव से जमींदार साहब से तबला बजाने की अनुमति
मांगी। सहर्ष अनुमति मिलते ही तबले की गड़गड़ाहट से महफिल थिरक उठी। रक्कासा ने
घूँघट उठाते स्वर लिया…
https://drive.google.com/file/d/1tDks9AmiXTtaBDRC-nFxVRPXAPZZ_Aex/view?usp=sharingKala Bihar कला बिहार
बिहार के कलाचार पर केंद्रित Cultural heritage of Bihar, Folk theatre of Bihar, folk arts of Bihar, folk Painting of Bihar, folk music of Bihar, Folk Dance of Bihar.

